भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर क्या केवल दलित नेता थे !!
Bharat Ratna Bhimrao Ambedkar || 20 अनोखी बाते जो इनको खास बनती है
भारत के आधुनिक विकास में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का सबसे ज्यादा योगदान रहा। ये एक अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, शिक्षा वेद, कानून जानकर होने के आधार पर इन्होने आधुनिक भारत के विकास की नींव रखी ।
वह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के विरोधी थे। जो जम्मू और कशमीर राज्य को एक विशेष दर्जा देता था।
1942 में, भारतीय श्रम सम्मेलन के 7 वें सत्र में, उन्होंने भारत में काम के घंटों को 14 घंटे से 8 घंटे में बदल दिया। साथ में महंगाई भत्ता और भविष्य निधि जैसे अलग लाभदायक सुविधाएं भी शामिल की ।
भारत को स्वतंत्र चुनाव आयोग भी इन्होने ही दिया, और ये वो योजना जिसको आज़ादी के बाद सभी पार्टियों ने अनदेखा किया। योजनाएं और विचार उनके थे लेकिन उसका श्रेय हमेशा दूसरे नेताओं ने लूटा।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रेरणा से ही भारत के वित्त आयोग की स्थापना हुई।
भारत में पानी और बिजली के ग्रिड सिस्टम की स्थापना होने में इन्होनेअहम योगदान दिए।
बाबासाहेब ने हीराकुंड बांध, दामोदर नदी घाटी परियोजना और सोमनदी परियोजना जैसी कई वास्तुकला परियोजनाओं के पीछे भी अपना योगदान दिया।
बाबासाहेब अम्बेडकर की महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ बिल, समान कार्य के लिए समान वेतन और वोट डालने जैसे तमाम बिल में प्रमुख भूमिका रही।
15 अगस्त 1947 में इनको सविंधान लिखने के लिए नियूक्त किया गया क्योंकि इनको कानून के अलावा देश दुनिया, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र इत्यादि हर छेत्र की जानकारी थी।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने अर्थशास्त्र पर तीन किताबें लिखीं: ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रशासन और वित्त, ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास, रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान। इन किताबो के आधार पर आरबीआई की स्थापना की गयी।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर देश के पहले कानून मंत्री थे और संविधान मसौदा समिति (Constitution Drafting Committee) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए थे।
1951 में बाबा साहेब ने हिन्दू कोड बिल तैयार कर संसद में पेश किया गया जिसमें महिलाओं को समान अधिकार देने की बात कही गयी।
हिन्दू कोड बिल के तहत पिता की संपत्ति में बेटी को समान अधिकार, विवाहित पुरुषों को एक से अधिक पत्नी रखने में प्रतिबन्ध और महिलाओं को भी तलाक़ का अधिकार शामिल था।
1955 में, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने बेहतर शासन के लिए मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार को विभाजन का सुझाव दिया था। किन्तु 45 साल बाद इन राज्यों को विभाजित किया गया।
1920 में साप्ताहिक मराठी अखबार “मूक नायक” इन्होने प्रकाशित किया , जिसका एकमात्र उद्देश्य गरीबों की दबी आवाज को सामने लाना था ।
1924 इन्होने भहिष्कृत भारत नामक अख़बार भी शुरु किआ, जिसका उद्देश्य – शिक्षा, दबे हुए वर्गों का निर्माण, और उनका उद्धार करना था ।
उनका मानना था देश की तरक्की के लिए हर एक इंसान को समानता का अधिकार मिलना चाहिए।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर उद्देशय किसी खास जाति को उठाना नहीं बल्कि इनका उद्देश्य देश के कमजोर हिस्से को उठाना था।
देश में सभी को सामान अधिकार ये सपना बाबा साहेब ने पहली बार देखा था जो आज तक पूरा नहीं हो पाया ।
Bharat Ratna Bhimrao Ambedkar ||13 रोचक तथ्य जिनसे इन्हे पूरी दुनिया शिक्षा का आदर्श मानती है –
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर मात्र एक ऐसे भारतीय है जिनकी प्रतिमा लंदन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगी हुई है।
वह विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले पहले भारतीय थे ।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने 2004 में विश्व के शीर्ष 100 विद्वानों की सूची बनायीं थी और उसमे बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का नाम शीर्ष पर था।
भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता हैं ।
भारतीय तिरंगे में “अशोक चक्र ” को जगह देने का श्रेय भी भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को ही जाता है।
अर्थशास्त्र का नोबेल पुरुस्कार जीत चुके अर्थशास्त्री प्रो अम्तर्य सेन , भारत रत्न भीमराव अंबेडकर को अर्थशास्त्र में अपना पिता मानते है।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने आगे चलके इन्हे संसार के नंबर 1 स्कॉलर की उपाधि से नवाजा।
भारत रत्न भीमराव अंबेडकर कुल 64 विषयो में मास्टर थे। और देश की 9 प्रसिद्ध भाषाओं के जानकार थे।
लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से ” डॉक्टर ऑल साइंस ” नामक अनमोल डॉक्टर पदवी प्राप्त वाले भारत रत्न भीमराव अंबेडकर विश्व के एकमात्र महापुरुष हैं, कई बुद्धिमान पुरुषो ने इस पदवी को हासिल करने की कोशिश लेकिन कामयाब नहीं हुए अभी तक ।
भारत रत्न भीमराव अंबेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में 8 वर्षो में समाप्त होने वाली पढाई केवल 2 वर्षो 3 महीनों में पूरी की थी , इसके लिए उन्होंने प्रतिदिन 21 -21 घंटे पढाई की थी।
भारत रत्न भीमराव अंबेडकर को बौद्ध धर्म की दीक्षा महान बौद्ध भिक्षु ” महंत वीर चंद्रमणी ” ने उन्हें इस युग का “आधुनिक बुद्ध ” कहा था।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ही ऐसे एकमात्र महान पुरुष और बुद्धिजीवी है जिनकी जयंती पुरे विश्व में मनाई जाती है।
आजाद भारत में, सोशल इंजीनियरिंग का श्रेय भी बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को दिया जाता है ।
Bharat Ratna Bhimrao Ambedkar Story in hindi || उनके जीवन से जुडी 15 खास बातें-
सं 1891 में रत्ना गिरी नमक स्थान, महाराष्ट्र में भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जन्म हुआ।
उनका मूल उपनाम अम्बावडेकर था, जो एक निम्न दलित जाति थी। महादेव अम्बेडकर, उनके स्कूल में एक ब्राह्मण शिक्षक थे ,वो इनकी बुद्धि जानते हुए, इस अछूत लड़के को अपना नाम देने के लिए अम्बावडेकर से अम्बेडकर उपनाम नाम बदल दिया।
उन्होंने पहली बार 16 साल की उम्र में शादी की और उनकी पत्नी ने 4 बेटों और एक बेटी को जन्म दिए । हालाँकि उनके बेटे यशवंत को छोड़कर सभी की मृत्यु उनकी बचपन अवस्था में ही हो गई थी।
अपने बढ़ते परिवार के लिए उन्होंने एक निजी क्षेत्र के ट्यूटर के रूप में, एक एकाउंटेंट के रूप में काम किया और एक निवेश परामर्श व्यवसाय की स्थापना की, लेकिन यह तब विफल रहा जब उनके ग्राहकों को पता चला कि वह एक अछूत थे।
बचपन में हुए शोषण, तिरस्कार और भेद भाव की वजह से भीमराव अंबेडकर अंबेडकर हिन्दू धर्म छोड़ना चाहते थे, उनका मानना था के हिन्दू धर्म को छोड़ना धर्म परिवर्तन नहीं, गुलामी की जंजीर तोडना है।
1927 में, सत्याग्रह की शुरुआत महाड में की गई, जिसका एकमात्र उद्देश्य अछूतों को महाड में एक सार्वजनिक टैंक में पानी का उपयोग करने की अनुमति देना था । वह दिन (20 मार्च) को भारत में “सामाजिक अधिकारिता दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
1927 में सार्वजनिक रूप से मनु के उद्देश्यों की हिन्दू सूत्र मनुश्यामती की निंदा की और कहा के पारंपरिक पुस्तक जातिवाद और अछूत जैसी सामाजिक कुरीतियों को बढ़ावा देती है इसलिए इन्होने प्राचीन पुस्तक को जला दिया ।
उन्होंने गांधी के अछूत समुदाय को हरिजन कहने के फैसले पर आपत्ति जताई थी ।
1935, अम्बेडकर को गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई का प्रिंसिपल नियुक्त किया गया था, जो कि दो साल तक आयोजित किया गया था। उस दौरान मुंबई में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने एक घर में 50, 000 से अधिक पुस्तकों के साथ अपने निजी पुस्तकालय का स्टॉक किया। और यह विश्व का सबसे बड़ा निजी पुस्तकालय है ।
1936 में, अंबेडकर ने स्वतंत्र श्रमिक पार्टी की स्थापना की, जिसने 1937 के बॉम्बे चुनाव में 13 आरक्षित और 4 सामान्य सीटों के लिए केंद्रीय विधान सभा में चुनाव लड़ा और क्रमशः 11 और 3 सीटें हासिल कीं।
भारत रत्न भीमराव अंबेडकर का मूर्ति उनके जीवित रहते हुए 1950 में कोल्हापुर नमक महाराष्ट के शहर में बनवाया गया था।
भीमराव अंबेडकर की 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में उनके घर पर नींद में मृत्यु हो गई।
7 दिसंबर को दादर चौपथी समुद्र तट पर उनके लिए एक बौद्ध दाह संस्कार का आयोजन किया गया था, जिसमें लाखों लोगों ने भाग लिया था।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को अपनी मृत्यु के 34 साल बाद 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया ।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर 1990 पुरे देश भर में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया ।
नेहरू और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के बीच राजनैतिक अनबन
बाबासाहेब, नेहरू सरकार में योजना मंत्रालय भी प्राप्त करना चाहते थे, लेकिन नेहरू ने उन्हें केवल क़ानून मंत्रालय ही दिया।
बाबा साहेब, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के सदस्य बनना चाहते थे लेकिन नेहरू ने उन्हें किसी समिति का हिस्सा नहीं बनाया।
बाबासाहेब, नेहरू की विदेश नीति से असहमत थे और आंबेडकर हिंदुओ में सामाजिक अधिकार और महिलाओं को सम्पत्ति का अधिकार देने की बात करने वाले हिन्दू कोड को समाज सुधार के लिए जरुरी मानते थे लेकिन नेहरू ने बाबासाहेब के मंत्री रहते हुए हिन्दू कोड स्वीकार नहीं किआ ।
हमें लगता है कि पिछले 64 वर्षों में भीमराव अंबेडकर राजनीति के शिकार हैं। और आज देश भर के नेताओं ने अंबेडकर को एकमात्र वोट हासिल करने के लिए एक फार्मूला के तौर पर इस्तेमाल कर रहे है जो की अपने आप में काफी शर्म्निय है, अतः आप लोगो से निवेदन है की बाबासाहेब की 129 वीं जयंती पर आप उनके महान कार्यो को जाने और ज्यादा से ज्यादा शेयर कर के और लोगो को भी उनके महान कार्यों से अवगत कराये। और साथ ही हमारी टीम की तरफ से आप सभी और समस्त देशवाशियों को अंबेडकर जयंती की हार्दिक शुभकामनायें ।
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Navneet
Influencer, Blogger, Journalist, Born 2 Bring Changes, loves Nature, Social and optimistic guy.
Bro...u r working hard and nice to see a person promoting vision of dr.bheemrao Ambedkar saheb and showing a enormous concept for us to learn their vision and role toward the Indian society .........as per dr Ambedkar said tum mujsey nafrat kr sktey ho mere khilaf ho sktey ho pr mujhey nakar nhi sktey...
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Bro...u r working hard and nice to see a person promoting vision of dr.bheemrao Ambedkar saheb and showing a enormous concept for us to learn their vision and role toward the Indian society .........as per dr Ambedkar said tum mujsey nafrat kr sktey ho mere khilaf ho sktey ho pr mujhey nakar nhi sktey...